Om Shankar
Inspirational
स्वीकृति मिल जाए तुम्हारी
तो मृत्यु का तिरस्कार आसान हो,
एक हस्ताक्षर से
आश्चर्य भी बिना प्रयास हो,
कर्तव्य की आयु
लज्जा पर प्रश्नचिन्ह लगा दे
और विजय का उत्तरदायी
योग्यता का नजदीकी रिश्तेदार हो ।
धूल
ओ प्रभु साँवर...
सहयोग
अपने मन को कतई मलीन ना होने देंगे, रिश्तों को बहुत संजोकर अपनाएंगे ! अपने मन को कतई मलीन ना होने देंगे, रिश्तों को बहुत संजोकर अपनाएंगे !
आस्था एक मनोविज्ञान है मन का विश्वास है। आस्था एक मनोविज्ञान है मन का विश्वास है।
मोहलत देता हूँ,आधी रात की तुम्हें न्याय क्या है ? अन्याय क्या है ? मोहलत देता हूँ,आधी रात की तुम्हें न्याय क्या है ? अन्याय क्या है ?
ना हो कोई लिप्तता ना कोई पिपासा, बनूं सकूँ किसी अँधेरे जीवन की आशा ! ना हो कोई लिप्तता ना कोई पिपासा, बनूं सकूँ किसी अँधेरे जीवन की आशा !
दिल में खुशीयों का सांस भरकर तुलसी विवाह का उत्सव मनाओ। दिल में खुशीयों का सांस भरकर तुलसी विवाह का उत्सव मनाओ।
तुम्हारे पास जिंदगी खत्म करने की लाखों वजह होगी। तुम्हारे पास जिंदगी खत्म करने की लाखों वजह होगी।
कृषक मजदूर होते जा रहे हैं। ज्यों ज्यों बढ़ रहे हैं कंक्रीट के जंगल। कृषक मजदूर होते जा रहे हैं। ज्यों ज्यों बढ़ रहे हैं कंक्रीट के जंगल।
जिंदगी तू भी कितनी उलझी है किस्मत उसकी जिसे तू सुलझी है जिंदगी तू भी कितनी उलझी है किस्मत उसकी जिसे तू सुलझी है
सबको मिला दो तो पूर्ण बन जायेगा सबको मिला दो तो पूर्ण बन जायेगा
आज की रात जो छुप भी जाएं सारे आफ़ताब , तो मिट्टी के दीयों की रौशनी से ही उजाला कर देंग आज की रात जो छुप भी जाएं सारे आफ़ताब , तो मिट्टी के दीयों की रौशनी से ही उजाल...
सफ़र की बात है लेकिन है मंज़िल का ठिकाना नहीं। सफ़र की बात है लेकिन है मंज़िल का ठिकाना नहीं।
सबकुछ बदलता रहता है,एक सा नही रहता। सबकुछ बदलता रहता है,एक सा नही रहता।
जो उस पत्थर से टकराये तो, राहों में तुम गिर जाओगे, जो उस पत्थर से टकराये तो, राहों में तुम गिर जाओगे,
क्या हम इनके नौकर हैं। अब हमें इनसे कोई रिश्ता नहीं रखना। क्या हम इनके नौकर हैं। अब हमें इनसे कोई रिश्ता नहीं रखना।
आत्मज्ञान का सुदीप ज़ब जल चुका है , तो अज्ञान का तिमिर ढलकर ही रहेगा ! आत्मज्ञान का सुदीप ज़ब जल चुका है , तो अज्ञान का तिमिर ढलकर ही रहेगा !
आज के आधुनिक समाज में, प्यार सस्ता हो गया है। आज के आधुनिक समाज में, प्यार सस्ता हो गया है।
अपने मन में छल - कपट न रखना न किसी से द्वेष। अपने मन में छल - कपट न रखना न किसी से द्वेष।
अंतरिक्ष तो विशाल अनंत है, इसका नहीं कोई आदि अंत है, अंतरिक्ष तो विशाल अनंत है, इसका नहीं कोई आदि अंत है,
आयो त्योहार देव दिपोत्सव मनाओ, नाचो रे गाओ धूम मचाओ। आयो त्योहार देव दिपोत्सव मनाओ, नाचो रे गाओ धूम मचाओ।