नन्हा फरिश्ता
नन्हा फरिश्ता
कुछ देर की शायरी नहीं तुम
ज़िन्दगी भर की दास्तां हो तुम।
बीता हुआ वक्त नहीं तुम
एक ठहरा हुआ लम्हा हो तुम।
मांगा करते थे जिसको दुआओं में,
वहीं कुबूल हुई दुआ हो तुम।
पतज़ड सा जीवन था मेरा,
ज़िन्दगी में आयी बहार हो तुम।
लोग कहते है तुम्हे नन्हा फरिश्ता,
मेरे लिए जीवन का सार हो तुम !
मुस्कान तुम्हारी दिल को लुभाती,
सारी खुशियों की पहचान हो तुम !