अक्षिता अग्रवाल

Inspirational

4.7  

अक्षिता अग्रवाल

Inspirational

रेगिस्तानी गुलाब

रेगिस्तानी गुलाब

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हो सकता है जीवन में,

आए कभी समय बहुत कठिन।

पर घबराना ना परिस्थितियों से,

बढ़ते रहना चिंता किए बिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह हर दिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह हर दिन।


बढ़ते रहोगे जो दिन-प्रतिदिन।

पा ही लोगे अपनी मंज़िल एक दिन।

जिन लोगों ने रोका है, टोका है और

हौंसला तुम्हारा तोड़ा है हर दिन।

उन लोगों को दिखा देना पा करके सफ़लता।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।


रेगिस्तानी गुलाब एक फूल जो,

खराब से खराब मौसम में भी बढ़ता है हर दिन।

माना कि, धीरे-धीरे बढ़ता है हर दिन।

पर खिलता है भरे रेगिस्तान में शान से एक दिन।

वहांँ जहांँ अपने जीवन का,

नहीं बिताना चाहता कोई मनुष्य एक भी दिन।

वहांँ वह रेगिस्तानी गुलाब,

एक राजा की तरह जीता है हर दिन।

इसी दिन को जीने के लिए तो,

मेहनत करता है वो ना जाने कितने ही दिन।

तुम भी इसी तरह जी तोड़ मेहनत करो हर दिन।

तभी जी पाओगे,

एक राजा की तरह अपना जीवन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।


खिलते रहना, बढ़ते रहना।

बिना किए किसी से कोई प्रतिस्पर्धा हर दिन।

एक रेगिस्तानी गुलाब हो या हो कोई भी फूल।

नहीं करता वह प्रतिस्पर्धा।

अपने पास खिले फूल से कभी भी, किसी भी दिन।

सभी के साथ मुस्कुराता है और

शान से खिलता है बस हर दिन 

ऐसे ही तुम भी सदा सभी के साथ मुस्कुराना और

जीवन में खिलना बिना किए कोई प्रतिस्पर्धा।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह हर दिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह हर दिन।


जब एक फूल, एक गुलाब।

खिल सकता है यदि रेगिस्तान में एक दिन।

तो मनुष्य भी पा सकता है अपनी मंज़िल।

चाहे रास्ता हो कितना भी कठिन और 

खिल सकता है कहीं भी।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।


सुंदरता पर अपनी,

इतराता नहीं रेगिस्तानी गुलाब हर दिन।

अपनी ताकत के दम पर जीवित रह पाता है।

वह सुंदर-सा गुलाब रेगिस्तान में हर दिन।

आवश्यकता है कि,

मनुष्य भी समझ जाए यह बात एक दिन कि,

सुंदरता से ज़्यादा ताकत ज़रूरी है।

ज़रूरी है ताकत आत्मविश्वास की, 

ताकत इच्छाशक्ति की।

जीवन में पा लेने को सफ़लता एक दिन।

समझ जाएगा मनुष्य यह बात जिस दिन।

उसी दिन से वह खिल पाएगा।

फिर वक्त हो चाहे कितना भी कठिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह हर दिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह हर दिन।


जीवन में आएंँ जो परिस्थितियांँ कठिन।

तो रुक ना जाना तुम इस इंतज़ार में कि,

आएंँगी सही परिस्थितियांँ भी एक दिन।

‘इंतज़ार का फ़ल होता है मीठा’ के,

लालच को झुठलाकर बढ़ते रहना।

अपने पथ पर हर पल, हर दिन और

याद करना रेगिस्तान में खिलते पौधों को।

अगर वह भी बढ़ने के लिए,

करने लगते सही परिस्थितियों का इंतज़ार किसी दिन।

तो रेगिस्तान में कभी कोई पौधा,

कोई गुलाब खिलता ही नहीं कभी भी किसी दिन।

खिलता है रेगिस्तान में भी गुलाब।

करता है संघर्ष वह खिलने को हर दिन।

ताकि मीलों तक अकेला फूल होने का

सौभाग्य प्राप्त कर सके वह सुंदर,

भुरभुरा, ताकतवर और

जीवन से भरपूर रेगिस्तानी गुलाब एक दिन।

इसी तरह बढ़ते रहो अपने पथ पर अकेले ही।

पाने को अपनी मंज़िल।

तभी प्राप्त कर सकोगे,

अकेले सफ़ल होने का सौभाग्य 

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।


एक शुष्क क्षेत्र में रहने वाला।

सभी बाधाओं के बीच भी खिलने वाला।

एक साधारण-सा फूल,

रेगिस्तानी गुलाब कहलाने वाला।

जो रेगिस्तान के एक साधारण से रंग में,

जोड़ता है अपना एक लाल खुशनुमा-सा रंग।

सहन करता है गर्मी और सहता है हर बोझ।

फिर भी सदा मुस्कुराता है।

खुद खिलता है और

रेगिस्तान में सदा बिखरी-सी रहने वाली

उदासी को दूर करता है हर दिन।

मेरी भी चाहत है कि बन जाऊँ मैं।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।

रेगिस्तानी गुलाब की तरह एक दिन।



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