राष्ट्रप्रेम
राष्ट्रप्रेम
आओं बेटो तुम्हें सुनायें,
वीर सपूतों की गाथाएं।
जिनके आगें न टिक पाई,
पर्वत जैसी बाधाएं।
मंगल पाण्डे, भगतसिंह ने,
दुश्मन को ललकारा था।
दन-दन-दन बंदूक चलाकर,
बदला सारा नजारा था।
लौह पुरुष ने राष्ट्रवाद के,
सपनो को साकार किया।
सारी रियासतों को उसने,
भारतवर्ष में विलय किया।
राष्ट्र-प्रेम की बलि वेदी पर,
कितनों ने बलिदान दिया।
सीमा पर दुश्मन को रोका,
झण्डा अपना गड़ा दिया।
लाल-बाल और पाल ने देखों,
अपना पौरुष दिखा दिया।
देश हमारा सर्वप्रथम है,
अंग्रेजों को दिखा दिया।।
