राष्ट्रनिर्माता
राष्ट्रनिर्माता
११ सितंबर, १८९३ को
विश्व धर्म-महासभा, अमेरिका के
शिकागो शहर के सुविशाल मंच पर
स्वयं को समर्थ भारत का
पूर्ण रूप स्पष्ट किया... !
सदियों तक
पराधीनता के शिकंजे में फँसे
भारत माँ को
स्वाधीनता का "स्वप्न" दिखाया...!
भारत माता को
विश्वगुरू" के रूप में
मान दिलाया...!
स्वामी जी ने
युवा-शक्ति से
एक संकल्प लिया..!
हरेक युवा ने
कुछ नया करने का
ध्येय ग्रहण किया...।
निस्संदेह, स्वामी विवेकानंद ने
"समर्थ भारत" का एक सम्यक स्वरूप
विश्व-दरबार में प्रतिष्ठित किया...
मानव-कल्याण और राष्ट्रनिर्माण
का महान उद्देश्य आगे रखकर
भारत माँ को श्रेष्ठ बनाया...
