राष्ट्र की जय बोल राणा
राष्ट्र की जय बोल राणा
स्वाभिमान इस धरा का
अब तो बंधन खोल राणा
मौत की हुंकार मे अब
ओज के स्वर घोल राणा।
देश की जय बोल राणा
राष्ट्र की जय बोल राणा
उस प्रतापी वीरता के
रक्त कण क्यों खो रहे हैं ?
वीर पूजा के ये वंशज
ओढ़ के क्यों सो रहे हैं ?
अब उदासी के ये बादल
गर्जना से तो काटेंगे।
देख तेरे देश के ये
बाल बच्चे रो रहे हैं
अब उठो फिर आर्ग लाई
विषमता की खोल राणा।
देश की जय बोल राणा
राष्ट्र की जय बोल राणा।