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डॉ गुलाब चंद पटेल

Abstract

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डॉ गुलाब चंद पटेल

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पिताजी

पिताजी

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अमर बन गए हैं राम सीता जी 

बहुत ही प्यारे थे मेरे श्री पिताजी


बारिश बिना हे ये धरती प्यासी 

मेरे पिताजी का नाम था नरसी 


खेत किनारे चमक रहा है रेती 

मेरे पिताजी करते थे खेत में खेती


होली के त्यौहार में कवर उभरे हैं रंग 

उतरायन में वो उड़ाते थे पतंग 


घर हमारा था झुग्गि झो्‍पड़े 

दीपावली मे वो दिलाते कपड़े 


खेत में वो बहुत ही काम करते 

भगवान शिवा न किसी से डरते 


कपड़े मिलमे वो करते थे काम 

रख दिया उन्होने गुलाब मेरा नाम 


पढ़ने न आता था उन्हे बाइबल 

लेकिन वो चलाते थे सायकिल 


गांव में मुखिया फूला भाई नामदार 

मेरे पिताजी थे एक मिल कामदार 


हमारे घर में निकला था एक चिता 

पिताजी ने कहा कि तुम सिगरेट मत पिना  


पढ़ना चाहे तुम गीता और रामायण 

श्री गुलाब कहे तुम करना पिता का पूजन 



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