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Ajay Singla

Abstract

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Ajay Singla

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रामायण -६;स्वयंभूमनु और शतरूपा

रामायण -६;स्वयंभूमनु और शतरूपा

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अलग अलग कल्पों में प्रभु ने 

विभिन्न रूप किए हैं धारण 

स्वम्भू मनु और शतरूपा भी थे 

राम अवतार का एक और कारण।


मनु ने राज किया था बरसों 

और बड़ी ख्याति थी उनकी 

पुत्र उत्तानपाद और प्रियव्रत 

कन्या देवहूति थी जिनकी।


कर्दम मुनि वरा देवहूति को 

उनके पुत्र मुनि कपिल 

मनु जी अब थे वृद्ध हुए 

गृहस्थी में लगता ना दिल।


राज पाठ पुत्रों को देकर 

पत्नी सहित चले गए थे वन 

वैराग्य मन में था आया 

तीर्थों में था लगता मन।


मन था प्रभु को आँखों से देखें 

दोनों ने तप किया भारी

प्रभु प्रत्यक्ष प्रकट हुए 

अब वर मांगने की बारी।


मनु ने प्रभु के चरण पकड़े, कहा 

आपसा पुत्र मैं चाहुँ 

पुत्र सी प्रीती मेरी हो आप में 

शतरूपा ने कहा, भक्ति पाऊं।


प्रभु बोले ऐसा ही होगा 

समय बीत कुछ जाने पर 

तुम अवध के राजा होगे 

आऊंगा तुम्हारा पुत्र बनकर।


 



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