STORYMIRROR

Ajay Singla

Classics

4  

Ajay Singla

Classics

रामायण ४२ ;समुन्द्र सेतुबंधन

रामायण ४२ ;समुन्द्र सेतुबंधन

2 mins
23.5K


तीन दिन बीत गए जब

समुन्द्र ने विनती नहीं मानी

राम को तब था क्रोध आ गया

सबक सीखने की थी ठानी।


कहा लक्ष्मण तुम धनुष बाण दो

अग्निबाण से सोख लूं इसको

लगता ये भय से ही माने

विनती से कोई फर्क न इसको।


धनुष चढ़ाया, अग्निबाण लिया

व्याकुल हो गए, समुंद्री जीव सब

समुन्द्र आये ब्राह्मण रूप में

प्रभु की वो विनती करें अब।


क्षमा कीजिये, दोष हमारा

आप कहें जो, वही करूं अब

प्रभु कहें, उपाय बताओ

सेना पार चली जाये सब।


समुन्द्र कहे नल नील दो भाई

आशीर्वाद ऋषिओं का पाएं

स्पर्श से उनके भारी पत्थर

समुन्द्र में भी तैर वो जाएं।


ये वचन सुन फिर कहा राम ने

तैयार करो सेतु, मिलकर सब

शीघ्र करो, विलम्ब न करो

पार जाना है सेना को अब।


जाम्ब्बान कहें, सबसे बड़ा सेतु

नाम राम का है संसार में

ये तो छोटा सा समुन्द्र

उससे जीवन लग जाये पार में।


हनुमान बोले तब सभी से

प्रभु सोखें थे समुन्द्र सारा

शत्रुस्त्री आंसुओं से फिर भरा

तभी तो पानी इसमें खारा।


जाम्ब्बान बुलाया नल नील को

कहें सेतु तुम करो तैयार

वानर और भालू के समूह वहां

लाये वृक्ष, पर्वत आपार।


देते थे नल नील को सब वो 

घड़कर वो बनाते थे सेतु

सुँदर सेतु देखकर, बोले प्रभु

शिव स्थापना करूँ,पूजा हेतु।


श्रेष्ठ मुनियों को बुलाया

शिवलिंग वहां स्थापित कर दिया

पूजा अर्चना की प्रभु मन से

रामेश्वर था नाम धर दिया।


नल नील ने जो सेतु बांधा

पानी पर तैरें पत्थर सब

प्रताप राम का ये सब सारा

सेना चढ़े सेतु ऊपर अब।


राम तट पर चढ़कर देखें

कितना है विशाल समुन्द्र

प्रभु दर्शन को सरे जलचर

ऊपर प्रकटे, जो पहले थे अंदर।


मगर, मच्छ और सर्प विशाल थे

रूप प्रभु का देख मग्न हैं

सेतु पर भालू वानर चलें

प्रभु का काम करें, उनका मन है।


समुद्र पार था डेरा डाला

प्रभु आज्ञा ले, फल वो खाएं

नाक कान काटें राक्षसों के

वो रावण की सभा में भागे जाएं।


देते समाचार रावण को

समुन्द्र पार आ गए सब वे

घबराकर दशों मुखों से बोला

समुन्द्र बांधा, क्या सचमुच में। 


|









 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics