राधा कृष्ण
राधा कृष्ण
त्याग समर्पण भाव का, घर राधे का दिल
श्याम मिले या न, पर श्याम ही है मंजिल
भौतिकता से है परे, लोकलाज़ से न डरे
प्रेम भक्ति का रूप है, भक्ति हुई कामिल
एक अलौकिक प्रेम, जो वर्णा न जा सके
राधा मिलेंगी श्याम में जो राधा में शामिल
राधा-कृष्ण का प्रेम बलखाती एक नैया है
नहीं कोई पतवार जहाँ, नहीं कोई साहिल