प्यार
प्यार
वो चादर की सिलवटों से आती भीनी सी खुशबू तेरी,
वो सांस की नरमियों से झलकती इश्क की गहरी तेरी,
वो सांझ की रोशनी में दिखती धुंधली सी परछाई तेरी,
वो बिखरी हुई जुल्फो में लिपटी सुबह की अंगड़ाई तेरी....
आज भी याद है मुझे!!
अब ना ही कोई शिकायत है, और ना ही कोई गम...
ये कैसा इश्क है तुमसे हम...की ना रहे अधुरे या ना पूरे हुए हम...
एक इतनी है ख़्वाहिश है बस, कि धीला सा जूड़ा बना के तू, माथे पे कुमकुम सज़ाये..
हल्की बारिश वाली शाम में, भीगी सूटी साड़ी में लिपटी,
एक बार मिलने आ जाए!
एक बार मिलने आ जाए!
हमें एक झलक को पा के मैं, फिर से अमीर हो जाऊं,
ओर आने वाले कुछ एक साल फिर,
ओर आने वाले कुछ एक साल फिर,
इस लम्हें में ही बिताऊ।