प्यार की यात्रा
प्यार की यात्रा
प्यार की यात्रा कभी खत्म नहीं होगी
तुम दूर भी रहोगी पर दूर ना रहोगी
ये उस रिश्ते की पोटली है मेरे हमदम
कई जन्मो बाद खोलो सुगंध वही रहेगी।
कुछ सूखे गुलाब आज किताबों से बाहर आ गए,
कुछ यादों के घने काले बादल दिल पर छा गए,
एक अधूरी कहानी जो बाकी रह गयी हैं
एक निशानी जो क्या कुछ कह गयी थी।
सोचा था जब मिलोगी तो ये फूल सजाऊंगा,
इन हाथों से इन फूलो को मुकाम दिलाऊंगा,
पर रस्मे थीं,...कुछ कसमें थीं...
कुछ रिश्ते थे...कुछ नाते थे..।
कुछ धर्मों का भी तो खेल था..
कुछ मज़हबों में होना बाकी मेल था..
अभी मोहब्बत को कई मंज़िलें पार करनी थी,
अभी तो कितनी मौतें हमको मरनी थीं।
फिर एक रोज़ क्यों सब्र तुम्हारा टूट गया,
क्यों खुद पर से यकीन छूट गया,
क्यों यकायक तुम कहीं खो गयीं
क्यों मुझसे,..मुझसे इतनी दूर हो गयीं।
मैं आज भी खुद को भरोसा दिलाता हूँ,
किताब में रखे सूखे गुलाब से दिल बहलाता हूँ
यादो के नश्तर अक्सर चुभ जाते हैं,
वो वादे वो इरादे बहुत याद आते हैं।
आज भी रख आता हूँ फूल मैं तुम्हारे लिए,
न जाने क्यों ये भी सूख जाते हैं।