प्यार के विविध रंग
प्यार के विविध रंग
आज मन कुछ कह रहा है।
कुछ प्यार की बात करने का मन हो गया है।
क्योंकि प्यार एक होता रंग उसके होते हजार।
समय-समय पर बदले यह रंग बचपन में ही प्यार हर मां बच्चों के बीच होता
जब इसका रंग कुछ अलग ही होता।
थोड़ा बड़े होने पर यह होता दोस्तों के बीच जिसका रंग एकदम मस्ती भरा होता।
भाई बहनों के प्यार के रंग की तो बात ही कुछ अलग है।
यौवन काल में जो प्यार का रंग चढ़ता है।
वह बहुत रंगीन होता है।
सतरंगी सपना दिखाता हुआ सब प्यार के रंगों पर भारी होता है।
मगर जब उस रंग में धोखा मिल जाता है तो वह रंग क्रोध से काला हो जाता है।
और जिस किसी का प्यार परवान चढ़ जाता है तो वह लाल गुलाबी हो जाता है।
उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है प्यार का रंग वैसे-वैसे अलग-अलग रंग बदलता है।
बुढ़ापे तक आते-आते प्यार के कुछ रंग प्रभु की तरफ जाते हैं।
कोई कोई तो प्रभु रंग में इतना रंग जाता है कि अपने परिवार को भी भूल जाता है।
और कोई संतान प्रेम में इतना अंधा हो जाता है कि उसको दूसरा कोई रंग याद ही नहीं आता है।
लाल गुलाबी नीला पीला काला सब रंग अलग-अलग होते
सब मिलकर के एक सतरंगी जो रंग बनाते हैं जिंदगी में सबसे ज्यादा
प्यार के वही रंग महत्वपूर्ण होते हैं।
अभी पूरा देश प्रभु राम मय हो रहा है।
राम राम-राम का बोलबाला है।
और यह रंग बहुत अनूठा है।
मन को खुश कर जाता है।
एक अलौकिक आनंद दे जाता है।