पूनम का चांद
पूनम का चांद
तू चांद है पूनम का
मौसम है तू सावन का
अहसासों में भीगा है
हर गीत मेरे मन का।
अंखियों के उजालों से
रोशन मेरा जीवन है
लब हैं या गुलाबों का
महका हुआ उपवन है।
तुझमें झरनों की रवानी है
जुल्फों में शाम सुहानी है
बिन्दिया की झिलमिल में
बसती जिन्दगानी है।
तू आस का दीपक है
तू भोर का सूरज है
तू ज्योति है जन जन की
तेरा तन जैसे नीरज है।
मुस्कान से है जीवन
संगमरमरी सा है बदन
तुझमें ही लागी लगन
सब कुछ तुझको अर्पण।