पूछ के बताना
पूछ के बताना
आज देखा मैंने आसमा से बारिश हो रही थी,
मानो बारिश भी मुझसे कुछ कह रही थी,
तुम्हारी यादों को समेटे वो रो रही थी,
आज देखा मैंने आसमा से दुखों की बारिश
हो रही थी।
कहने लगी वो मुझसे पूछ के बताना उससे,
क्या नहीं आती मेरी याद उसे,
कहता था मुझसे नहीं है इतना आसान तुम्हें
भूलना जाना,
फिर क्या हुआ उसे जो इतना बेरुख हो गया
मुझसे,
कहने लगी वो मुझसे पूछ के बताना उससे।
कहने लगी वो मुझसे
वो दूर है मुझसे फिर भी लगता करीब है मेरे,
बहुत याद आता है वो मुझे,
बहुत करीब है वो मेरे,
वो जो आ जाये तो इस घर को संवरता देखूँ,
जो मुद्दतों से वीरान पड़ी है।