कैसे कहूँ तुमसे
कैसे कहूँ तुमसे
कैसे कहूँ तुमसे मेरी दुनिया तुममें बसती थी,
तुम्हारे बिना मैं अधूरा सा रहने लगा था।
रातों में सपने आने लगे थे,
मुझको वो सपने जगाने लगे थे।
जब जब तेरी वो बातें याद आती हैं,
तो दिल मे एक कसक सी उठ जाती है।
कैसे कहूँ अपने इस दिल की बेबसी,
कैसे कहूँ एक आरजू थी तुमसे मिलने की।
मेरे सीने में धड़कते इस दिल की
आरजू थी तुमसे मिलने की,
मेरे इन आँखों में एक तड़प थी तुम्हें देखने की।
हर वक़्त बेवक्त तुम याद आती थी,
कैसे कहूँ मेरी दुनिया तुममे बसती थी।
काश तुम यूँ मिली ना होती,
तो ये रातें और ये बरसातें यूँ फीकी ना होती।
काश तुम यूँ मिली ना होती,
तो ये जिंदगी यूँ बेरंग सी न होती।
अब तो आदत सी हो गई है तुम्हारी मुझे,
हर पल बस तुम्हारी ही याद आती है
कैसे कहूँ तुम्हारी याद सताती है।
तुम्हारी वो यादे तुम्हारी वो बातें,
तुम्हारे साथ वो घंटो फोन पे बातें।
अक्सर याद आती हैं मुझे
कैसे कहूँ तुम्हारी याद सताती है।
तुम जो नही हो तो दुनिया भी अधूरी सी लगती हैं,
तेरे बिना जीना भी अजीब सा लगता है,
कैसे कहूँ काश तुम यूँ मिली ना होती,
तो ये जिंदगी यूँ बेरंग सी न होती।
कैसे कहूँ तुमसे काश तुम मिली ना होती,
तो इश्क़ के इस राह में हम खोये ना होते,
इस सीने में ये दिल यूँ तड़पता ना होता।
कैसे कहूँ, काश तुम्हें एक बार
सीने से लगाया होता,
काश तुम्हें एक बार सीने से लगाया होता।