पुस्तकालय
पुस्तकालय
कब-कौन-कैसे रहा करते थे ?
सबको देगा कौन ये हिसाब ?
जीवित प्राणी ये बता सके ना,
बताएगी बस समकालीन किताब।
किताबें ज्ञान की अविरल सरिता हैं,
संचित ज्ञान का हैं अतुलित भंडार।
तत्कालीन समाज का आईना हैं यह,
जिनमें हम देखते हैं तब का संसार।
जहां ज्ञान की ये सरिताएं एक साथ,
जब एक ही जगह पर मिल जाती है।
विविध तथ्यों की ज्ञान के शक्ति -केंद्र,
पुस्तकालय के नाम से जानी जाती है।
