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Ratna Pandey

Inspirational

5.0  

Ratna Pandey

Inspirational

पुष्प की चाह

पुष्प की चाह

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ख़ुश होता हूँ जब वरमाला बन दो प्रेमियों को मिलाऊं

विदाई हो जब दुल्हन की डोली की शान बढ़ाऊं

सजा सुहाग की सेज वातावरण को मैं महकाऊं


हर ख़ुशी के अवसर पर घर की सुंदरता मैं बढ़ाऊं

वार त्यौहार पूजा की थाली में रखा जाऊं

गिर प्रभु के चरणों में सौभाग्यशाली मैं बन जाऊं


मृत देह पर जो डाला जाऊं आंसुओं से गीला मैं हो जाऊं

फिर भी चाह यही है अंत समय तक

देह को उनकी, ख़ुश्बू से अपनी मैं महकाऊं


तिर

ंगे से लिपटी किसी वीर की मृत देह पर जो डाला जाऊं

चाहता हूँ उस देह के साथ लिपट कर, लेट चिता पर जाऊं

अमर मैं भी हो जाऊं


हार बन कर किसी देश भक्त के गले में जो डाला जाऊं

गर्व से प्रफुल्लित मैं हो जाऊं ,फूला ना समाऊं

चाहता हूँ हर जन्म में पुष्प बनकर ही दुनिया में आऊं


किसी शहीद की समाधि को स्पर्श जो मैं कर पाऊं

देश भक्ति से ओत प्रोत मैं हो जाऊं

मैं भी शहीद कहलाऊं ,समाधि को छोड़ कहीं ना जाऊं





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