पुरानी परंपराएं और धरोहर
पुरानी परंपराएं और धरोहर
उत्कृष्ट परंपराओं का सदा ही हम करते हैं सम्मान,
पुरानी धरोहर दिखाती है हमको अपना प्राचीन ज्ञान।
आज की तकनीक ज्यादा उन्नत रहे हैं हम ऐसा मान,
प्राचीन निधियों के संरक्षण का कैसे रखा गया ध्यान?
देश-काल परिस्थिति अनुरूप सब क्षेत्रों ने किया विकास,
विविध क्षेत्रों में आना-जाना और करना दूजे का विश्वास।
अन्य क्षेत्र की मांग के अनुरूप पड़े थे करने कई ही सुधार,
परिष्कृत रूप हेतु सदा सकारात्मक भावना से हो विचार।
भाव सदा परमार्थ का मन में करता है सबका उद्धार,
स्वार्थ भावना न कोई सराहे होता इससे है तिरस्कार।
कुछ स्वार्थी मिलते हैं अपवाद रूप में बाकी होते नेक,
विधि सृष्टि बड़ी विचित्र है, कृतियां बढ़कर एक से एक।
यह सारे संग्रह के आलय तो अखिल जगत की थाती हैं,
आलोक सकल जग में विकिरण करती इनकी बाती है।
इसी ज्ञान का लेकर सहारा हर मंजिल ही जीती जाती है,
नव तकनीक का आधार यह बनती मानवता इतराती है।
