पुनर्जन्म
पुनर्जन्म
आसूँ जब अपने निकले तो खुद ही पोछ लिया करते हैं
यारों के यार हैं, तन्हाईयों में भी मुस्कुराया करते हैं
काली घनघोर घटा जब इस कदर छायी
सूरज की किरणें भी दूर नजर न आयी
उस समय यारों बिखर जरुर गये थे,
ऐसा लगता था मानो
किसी घनघोर जंगल में रस्ता भूल गये थे।।
फिर रास्ता दिखाया किसी ने
जीवन जीने की सही कला क्या होती है समझाया किसी ने
जो है सब अपने ही अंदर है
हमारे पास क्या किसी से कम है
अपनी हिम्मत और मेहनत जब तक बरकरार है
तब- तब जिंदगी में एक "नूतन विहान " है।।
बाधाओं को पार कर, अँधेरे को चीर कर
एक ज्वाला अनंत जली
दिग- दिगंत रोशन हुआ जग
फिर से अपनी पहचान बनी।।
छोड़ दिया फिर"मृग भांती" कस्तुरी ढूँढना
अपनी ही प्रतिभा को जान लिया
हर संघर्ष के पिछे एक शिक्षक छुपा है
एक शिष्या बन सीखना शुरु किया,
गुरु दक्षिणा भी तो बनती है यारों
इसलिये हर पल मुस्कुराते हुए
अपने पर भरोसा करते हुए
अपनी ही सोच को बदल दिया।।
मुश्किलें पड़े तो हिम्मत न हार
अपने डर को अपने गले का बना "हार"
चमक उठेगा एक दिन सूरज की भांती
तू टिमटिमाना तो शुरू कर,
उठ खड़ा हो" हे थके इन्सान "
अपनी हिम्मत आप बन
न माँग किसी का सहारा
अपनी बाजुओ पर भरोसा कर
एक नये जग का निर्माण कर।।
हिम्मत न हार-हिम्मत न हार
चला चल -चला चल।।