पुलवामा
पुलवामा
खौल उठा है खून हमारा
धधक उठी नस नस में ज्वाला
आओ सब मेरे साथ सभी
जो भारत पर मर मिटने वाला।
कभी ऊरी कभी पुलवामा की
बगीया जो उजाड़ा है।
पूछेंगे हम मिलकर, साले..
तेरा क्या बिगाड़ा है।
एक एक का लेगा बदला
यह भारत का रखवाला
उठा लिया है बंदूक
अब एक कलम चलाने वाला।
