पुलवामा फौजी के मन की बात….
पुलवामा फौजी के मन की बात….
अफ़सोस का वजन, कही ज्यादा ना हो जाये
तू ही जानता है ये वतन,
हम अपने साथ क्या लेके आये है
और ऐसा क्या है, जो पीछे छोड़ आये है
कुछ खट्ठी कुछ मीठी, यादे समेट लाये है !!
कुछ खट्ठी कुछ मीठी, यादे समेट लाये है !!
तुहि जनता है ये वतन, हम अपने साथ क्या लेके आये है
हिफाज़त में शहीद होने का
गर्व लेके आये है
छोड़ अपने घरवालों को तेरी चौखट पे
बेसहारा छोड़ आये है
कुछ खट्ठी कुछ मीठी, यादें समेट लाये है !
उन नन्ही सी आँखो में
खुद पर इल्जाम छोड़ आये है
मेरी तरफ बढ़ते वो लड़खड़ाते हुए कदम वही रख आये
डूबते सूरज में खुदका, चेहरा देख आये है
कुछ खट्ठी कुछ मीठी, यादें समेट लाये है !
थोड़ी फ़िक़र घरवालों की, वहां छोड़ आये
ज्यादा नहीं थोड़ी सी, साथ भी ले आये है  
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क्योकि भरोसा हे उन लोगो पर जिन्होंने
हमारी शहादत पर आंसू बहाये है
कुछ खट्ठी कुछ मीठी, यादें समेट लाये है !
अफ़सोस का वजन, कहीं ज्यादा ना हो जाये
इसलिए अधूरे अरमानो का बोझ, वहीं छोड़ आये है
कुछ खट्ठी कुछ मीठी, यादे समेट लाये है !
घरवालों की थोड़ी खुशियों ऊपर लेके आया हूँ
सोचता हूँ , बादलों में भर, घरवालों पे बरसा दूँ
कुछ खट्ठी कुछ मीठी यादे, समेट लाया हूँ
आखरी बार जय हिन्द कहने की इच्छा, सीने से लगाए है
पूरी हो जाएगी, जिस दिन मे्रे भाई कहेंगे,
इट का जवाब पत्थर से दे आये है
पीछे से नहीं...
सामने से वार कर आये है...
सामने से वार कर आये है......
कुछ खट्ठी कुछ मीठी, यादे समेट लाये है ….