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Shravani DNG

Abstract

2.1  

Shravani DNG

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होप रखो

होप रखो

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होप रखो, नेकी की एक ऐसी सोच रखो, 

ज़िन्दगी जीने के वजह दे

और भीड़ के इस शहर में तुम्हे थोड़ी जगह दे

होप रखो, कोशिश की एक ऐसी सोच रखो,

जो आज तुम्हे धुत्कार रहे,

कल तुम्हारे छाँव में रहे

होप रखो, दुनिया की एक ऐसी सोच रखो,

न गलत काम कोई करना है

न दुनिया से कभी डरना है

होप रखो, सपनो की एक ऐसी सोच रखो

खुद सपने पड़ जाये सोच में

कब सच हो गए हम पता न चला जोश में ।



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