केरला से आया मेरा दोस्त- बारिश
केरला से आया मेरा दोस्त- बारिश
तुम मिले और आंसू अपने आप छलके
जो बोझ लिए घूम रही थी
अपने आप हो गए हल्के
तेरा आना दुवाओं जैसा है
तेरा मुझसे ये रिश्ता कैसा है।
खुश हूँ इतनी क्या बताऊं
तेरी बूंदो से उम्मीदों के दिए जलाऊं
कोई मिलने आया हे एक साल बाद
कैसे में अपने आंसू छुपाऊं
जैसे ही ये तेरी बूंदे गिरती है मेरे हाथो पे,
नमी की एक झालर, जढ़ जाती हे मेरे आँखों पे।
बंद करती हूँ ऑंखें , और दिल अपने आप खुल जाता है,
क्या क्या हुआ एक साल में, अपने यार को बताता है।
ख़ुश भ
ी है दिल और थोड़ा दुखी भी,
छुपाना आंसू अपने यार से , है थोड़ा मुश्किल भी।
कोई नहीं है, जिसे में बता पाऊं ,
एक तूही जानता है, किसे में दिलो -जान से चाहूँ ।
वक्त आ गया है, के अब सबसे अपने दिल की बात करूँ ,
तेरे साय में , उसके साथ ज़िन्दगी की नयी शुरुवात करूँ।
भाई ताक़त देना, काफी कुछ है होना अब।
तू साथ देना हम सबका, यार संभाल लेना सब।
सबको खुश रखना,
और भर देना झोली सबकी प्यार से!
एक पार्टी तो बनती है,
आखिर इतने दिनों बाद मिले है अपने यार से।।