पुलकित देखो किसान
पुलकित देखो किसान
पुलकित देखो किसान,
देखता खेती जहान,
बनता जीवन महान,
झूम-झूम आओ।
धरती का रूप रंग,
बढ़ती है फिर उमंग,
बिखरे हैं प्रीत संग,
मिलकर सब गाओ ।।
मिलती है खुशी धाम,
मौसम से बना काम
बनें काम सरे आम,
प्रेम गीत गाओ।
मेले में सजे हार,
देखें है बार-बार,
पाते हैं यहांँ ठार,
मेले में आओ।।