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VEENU AHUJA

Abstract

4.5  

VEENU AHUJA

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पुकारो अभी ( मित्रता दिवस )

पुकारो अभी ( मित्रता दिवस )

1 min
418


वो जो रोज बात करती नहीं ,

वो जो बड़े बड़े उपहार रोज़ लाती नहीं ,

बात पर तुम्हारी जो कहकहे लगाती नहीं ,

तुम जो कहो , सब सुनती नहीं ,

हाथ के इशारे से तुम्हें रोककर ,

सारी कहानी समझाती , वही ,

तुम्हें गलत साबित करने में जो कभी हारती नहीं ,


पर धूप तेज हो तो बातों की छांव देती वही ,

रखती बराबर नजर तुम पर ,

पर, जताती नहीं ..

दोष तुम्हारे सब बतलाती ,

निगाहे चार उठती तुम्हारी ओर ,

भृकुटी तन जाती उसकी

सबसे पहले , चहुँ ओर ।


कहो , क्या वो तुम्हारी परम सखि नही ?

जो है , तो पुकारो अभी ,

मत सोचो ' किस्मत से मिली किस्मत ,

यूं बिगाड़ो नहीं।


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