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Manju Saini

Inspirational

4  

Manju Saini

Inspirational

:पत्थर की नियति

:पत्थर की नियति

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पत्थर हूँ मैं कठोरता दिखती हैं मेरी

पर कभी किसी ने ध्यान नही दिया

नदी के कितने थपेड़े सहता हूँ मैं

हर किनारे हर घाट पर मिलता हूँ नदी से


     खामोश रह देखता हूँ उसके बहाव को

     मानों बहते जल के नखरे अनेको हैं

     अनदेखा सा कर छू कर चल देता है मुझे

     कभी नही सोचा कि मेरी शून्यता पर


रहता हूँ हर धार का प्रहरी बन

हर तट पर मुस्तेद अपनी पूर्ण शक्ति लिए

नजरअंदाज कर मानों बह निकलता हैं

मेरे सीने को चीरता हुआ अपनी राह पर


    मैं वहीं का वहीं उसी अवस्था में अडिग रहा

    जन्मों जन्मों तक बिन क्षय के अटल

    मानों यही नियति हो मेरी सदैव

    बस यही मेरी व्यथा,मेरा जीवन बस यही।


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