STORYMIRROR

Dheeraj kumar shukla darsh

Tragedy

3  

Dheeraj kumar shukla darsh

Tragedy

पत्थर दिल

पत्थर दिल

1 min
246

पत्थर का दिल हो गया

आज के इंसानों का

ठहरा हुआ जो आज

मतलब की कीलों पर

और मानव में मिट गया

इंसानियत का भाव यहाँ

इस्तेमाल करना सीख लिया

इंसान ने इंसान का

देखोगे चारों और जब

मतलबी सब दिख जायेंगे

जरूरत के समय यहाँ

रिश्ते निभाये जायेंगे

पैसों के पीछे भागती 

दुनिया का सच है यही

पत्थर हो गया मानव

और दिल उसका भी



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy