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arun gode

Comedy

4  

arun gode

Comedy

पत्निकंप

पत्निकंप

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पति- पत्नी के झगडे में आ गई बहार,

कभी पत्नी,तो कभी पति कमरे के बाहर।

एक-दुजे के साथ ऐसी ठनी इस बार,

कोई नही तैयार मानने को अपनी हार।


पत्नी ने एक -एक करके अजमायें सभी हथियार,

लेकिन पति के दृढ-संकल्प के आगे सब हो गये बेकार।

हमेशा झुकने वाले पति का देख कर यह व्यवहार,

अचरच में पडी पत्नी ,कैसे नाकाम हो गये मेरे हथियार।


सोचने लगी, पति कही चल तो नही रहा चक्कर,

अगर ऐसा है तो बेकार है लेना पति से टक्कर।

सोचने लगी क्या पति को नही रहा है मेरे प्रति वो प्यार,

पति से इस बात का कैसे करे इजहार।


क्या में इस बार पति के अत्याचार कि बन जाउंगी शिकार,

ऐसा हुआ तो यह होगी पत्नी धर्म कि हार।

कम हो जाएगा ऐसे से मेरा मूल्य इस बार,

और जताना पडेगा मुझे पति से हमेशा प्यार।


चलो चलाते हैं कोई नया हथियार,

जीसे से बनी रहे मेरी साख और उनकी हो जाए हार।

पति के साथ उस रात हो गई पत्नी कमरे के अंदर,

देख कर पति सोचने लगा क्या है ऐ नया चक्कर।


लगता है बर्फिला तुफान पड गया है कमजोर ,

पति अंदर-अंदर डरा, देख कर पत्नी के तेवर।

न जाने कैसे बितेगी ये काली रात भयंकर,

इसी डर

से निंद नही आ रही थी रात भर।


रह-रह कर सोच रहा था पत्नी के कुट्नीतिक हतियार पर,

अचानक जोर से आवाज गुंजी घनी रात्री प्रहर।

भूकंप – भूकंप आया देखो मेरे पति राज इधर,

पति कि आंख खुली और देखा बिस्तर के इधर- उधर।


खोजने लगा किधर गया हमसफर,

मोहन जोदडो हड्प्पा खुदाई का वो किंमती जेवर।

देखा हलकी नजरे उठाकर आगे की और,

किंमती जेवर अस्त-व्य्स्त अवस्था में पडा जमीन पर।


व्यंग करते हुये पति ने कहां हिम्मत जुटाकर,

अरे भागवान थोडी देर पहिले तुम थी इसी बिस्तर पर।

हमसफर प्यारे पति का बिस्तर छोड कर,

मेरी प्यारी पत्नी क्या कर ही है जमिन पर।


आप तो हमेशा रहते है कुंभकर्ण निद्रा में अपने बिस्तर पर,

आप को कैसे होगा पता क्या चल रहा धरती के दिल के अंदर।

जोर से भूकंप आया और में उछ्ल कर गिर पडी जमिन पर।

थोडी बहुत हलचल रात से देख रहा था किसी के दिल के अंदर,

पति ने तंज कसते हुयें कहा पत्नी पर।


भागवान यह बताव कि भूकंप तुम गिरने के पहिले,

या गिरने के बाद आया इस भूतल पर ?

पत्नी की हलकी मासुम मुस्कान देखकर,

पति ने कहां क्या ये था पत्नी-कंप हंसकर ?


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