पति का बटुआ
पति का बटुआ
आज जो कविता पति का बटुआ लिख रहा हूँ,
हर पति का अपनी पत्नी से हुआ दास्तां बता रहा हूँ।
एक दिन नही हर दिन की ये बात है क्योंकि
दुनिया के हर असहाय पति के जज़्बात लिख रहा हूँ।।
आज जो...।
कभी गुस्सा, कभी तुनकमिजाजी,
कभी प्यार, कभी इश्कमिजाजी।
न जाने किन-किन पैतरों से वो अर्धांगिनी
अपने पति का ज़ेब खाली कर रही है।।
आज जो...।
सुबह से शाम की थकान एक तरफ़,
पत्नी का अपने पति के बटुए पर नज़र एक तरफ़।
पर कुछ भी हो ये रिश्ता अनमोल बहुत है
भले बटुआ खाली हो जाये पर दिल में प्यार आ रहा है।
आज जो...।