पर्यावरण
पर्यावरण
क्यों भूल जाते है हम,अपना यह धर्म,
हमारा भी कर्तव्य ही सुरक्षित रहे
ये पर्यावरण
क्यों याद नहीं आती हमें अपनी ही
करनी, जब पड़ती है एक-एक सांस
की कीमत भरनी
क्यों सोचा नहीं आज तक कैसा
होगा वो आने वाला कल
जब मन में होगा मलाल पल दर
पल के काश ऐसा हुआ न होता
वक्त है आज भी, बचो लो अपनी
ये पावन धरा
यहाँ आज भी नज़र आता है
सब कुछ हरा भरा
ऐसी भूल मत कर बैठना के
सब कुछ हो जाये नष्ट
ऐ मनुष्य तू रह जाएगा अकेले
भोगने को सारे कष्ट
चलो मिलकर लेते है आज ये प्रण
मिलकर चुकाएंगे धरती माँ का ऋण
नहीं होगा अब पर्यावरण पर प्रहार
पेड़-पौधे जीव- जन्तु सब होंगे
सुरक्षा का आधार
