Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

ओम कविता

Inspirational

4  

ओम कविता

Inspirational

पर्यावरण से खिलवाड़ रोक दो

पर्यावरण से खिलवाड़ रोक दो

1 min
294


आज धरा है उदास,

प्रकृति भी है रो रही

देख मानव की दशा,

करुणामय है हो रही।

मानव होता है बुद्धिमान,

फिर कैसा इतना अज्ञानी बन गया

अपने ही जीवन दाता

पेड़ों को घात पहुंचाने में लग गया।

देखकर चकाचौंध माया की,

प्रकृति की माया को भूल गया,

कट काट जंगलों को प्रतिदिन

भवन कारखाने बनाने में लग गया।

आज देखो चारों ओर

कारखाने चल रहे वाहन दौड़ रहे,

प्रदूषण इतना बढ़ गया,

हम नए-नए रोगों के शिकार हो रहे,

प्रकृति का जो हमने उजाड़ किया,

उसके परिणामों से अपनों को रोज खो रहे।

हे मानव अभी भी समय है,

पर्यावरण से खिलवाड़ रोक दो।।

कर कर के के वृक्षारोपण,

भावी संतति को जीवनदान दो दो।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational