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ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

Classics

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ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

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जै जै मधुसूदन

जै जै मधुसूदन

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जै जै जै मधुसूदन बनवारी,

तुम हो ग्वाला कृष्णा गिरधारी।


कारागार  जन्म  तूने  पाया,

निज माया से जग सकल सुलाया,

तेरी महिमा तो है अति न्यारी,

जै जै जै मधुसूदन बनवारी।


दुष्ट कंस  को तूने भरमाया,

जा पहुँचे गोकुल थी यह माया,

मरी कंस हाथों बाल कुमारी।

जै जै जै मधुसूदन बनवारी।


पा कान्हा गोकुल अति हर्षाया,

सकल गाँव उत्सव सुखद मनाया,

मन को मोहित करती किलकारी,

जै जै जै मधुसूदन बनवारी।


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