STORYMIRROR

ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

Inspirational

4  

ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

Inspirational

धन और मन

धन और मन

1 min
620

जगत मिलत धन

दमकत तन मन।

बिन धन यह मन

विकल रहत है।


निशि दिन पल पल

अति धन हलचल।

विषय पकड़ धन

कुटिल बनत है।


चढ़त अहम जब

मिटत विनय तब।

जग हर नर लख

धन बदलत है।


कहत जगत सब

अति धन विष सम।

सुमति करत कुछ

कटक मिटत है।।


સામગ્રીને રેટ આપો
લોગિન

Similar hindi poem from Inspirational