ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
Inspirational
जगत मिलत धन
दमकत तन मन।
बिन धन यह मन
विकल रहत है।
निशि दिन पल पल
अति धन हलचल।
विषय पकड़ धन
कुटिल बनत है।
चढ़त अहम जब
मिटत विनय तब।
जग हर नर लख
धन बदलत है।
कहत जगत सब
अति धन विष सम।
सुमति करत कुछ
कटक मिटत है।।
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मधुरिम रिश्तों की अभिलाषा, मन में जगाती नई आशा... मधुरिम रिश्तों की अभिलाषा, मन में जगाती नई आशा...
राह में आती बाधाओं से तू न जाना हार... राह में आती बाधाओं से तू न जाना हार...
इस बुलंदी के लिए मैं, वक़्त से टकरा गया हूँ... इस बुलंदी के लिए मैं, वक़्त से टकरा गया हूँ...
कितने ही वर्ष ग़ुलामी की जंजीरों से रहा रिश्ता, मुश्किलों और कुर्बानियों से जो ये आज़ादी पाई है... कितने ही वर्ष ग़ुलामी की जंजीरों से रहा रिश्ता, मुश्किलों और कुर्बानियों से जो य...
राहें करेंगे रोशन दुआओं से अपनी। राहें करेंगे रोशन दुआओं से अपनी।
बेटियों को बोझ और पराया धन समझने वालों को, उनकी बेटियों की अहमियत दिखाना चाहूंगी... बेटियों को बोझ और पराया धन समझने वालों को, उनकी बेटियों की अहमियत दिखाना चाहूंग...
कानन नहीं, आनंद नहीं, कुएँ नहीं, तड़ाग नहीं, दरियाओं का मीठा जल, अब जहर बन गया... कानन नहीं, आनंद नहीं, कुएँ नहीं, तड़ाग नहीं, दरियाओं का मीठा जल, अब जहर बन गय...
ना कर पाऊँगी कभी पूरा, ये मेरी ज़िंदगी तेरी अमानत है...। ना कर पाऊँगी कभी पूरा, ये मेरी ज़िंदगी तेरी अमानत है...।
हर पल अधिक की चाह में, खो दी खुशी सब आज की। सुख तो हृदय में ही छुपा, ये बात समझा था राज की। हर पल अधिक की चाह में, खो दी खुशी सब आज की। सुख तो हृदय में ही छुपा, ये...
पानी भर आता है इन आँखों में, ये खामोश हो जाती हैं जब दर्द हद से गुज़र जाता है... पानी भर आता है इन आँखों में, ये खामोश हो जाती हैं जब दर्द हद से गुज़र जाता है.....
ये अपने परायों का भेद भी बताता है, ना चाहे तो भी सब्र दे जाता है... ये अपने परायों का भेद भी बताता है, ना चाहे तो भी सब्र दे जाता है...
अमर बूंद पाने की खातिर सागर नहीं मथाये जाते ! अमर बूंद पाने की खातिर सागर नहीं मथाये जाते !
अगर अभी भी जज्बा है तेरे दिल में कठोर मेहनत करने का... अगर अभी भी जज्बा है तेरे दिल में कठोर मेहनत करने का...
मैं मेरे मसलों से भाग नहीं सकता, पूछो जरा मुझे ऐसी क्या लाचारी है... मैं मेरे मसलों से भाग नहीं सकता, पूछो जरा मुझे ऐसी क्या लाचारी है...
कश्ती का काम है लड़ना भारी लहरों से, फिर क्यों अब तुमने भय की आड़ लिया... कश्ती का काम है लड़ना भारी लहरों से, फिर क्यों अब तुमने भय की आड़ लिया...
तब अपने आँसुओं को तुम हम को दे देना, हम मोतियों की तरह संभाल लेंगेl तब अपने आँसुओं को तुम हम को दे देना, हम मोतियों की तरह संभाल लेंगेl
बुरे वक्त में भी जिसने दिलखुश अल्फाज़ निकाले, वो जैसे हारी बाज़ी जीत के आगे बढ़ता जाये... बुरे वक्त में भी जिसने दिलखुश अल्फाज़ निकाले, वो जैसे हारी बाज़ी जीत के आगे बढ़ता ...
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे के ख़ज़ाने भरने वालों को, क्यूँ आत्महत्या करता कोई ग़रीब नहीं दिखायी देता.... मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे के ख़ज़ाने भरने वालों को, क्यूँ आत्महत्या करता कोई ग़र...
निश्छल सी है तू मेरी माँ, समुन्दर जैसा आँचल तेरा... निश्छल सी है तू मेरी माँ, समुन्दर जैसा आँचल तेरा...
ये अल्लाह नहीं कहता ये भगवान नहीं कहता है। ये अल्लाह नहीं कहता ये भगवान नहीं कहता है।