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Arti Jha

Romance Others

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Arti Jha

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प्रथम प्रेम

प्रथम प्रेम

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तेरा मिलना लगा था दिल को ऐसे 

धूप संग शीतल हवा का झोंका जैसे 

भाप चेहरे पर आई हो चाय की जैसे

मसाले की खुशबू रसोई से आई जैसे 

चंद्रमा की चाँदनी धरा पर है आई ऐसे 

प्रथम प्रेम से सराबोर जीवन हुआ जैसे 


चन्दन सा सुगंधित हुआ जीवन ऐसे 

अरुणोदय की लाली फैल गई हो जैसे 

साँझ भी दुल्हन सी शरमाई हो जैसे 

अधर पर श्वेत मुस्कुराहट छाई हो जैसे 

नैनों ने स्वप्न सजन के देख लिए ऐसे 

प्रथम प्रेम से सराबोर जीवन हुआ जैसे 


गुलशन में बहार खिलकर आई ऐसे 

गुलमोहर की सिंदूरी छाँव बिछी जैसे 

हथेली छपी हो कोरे कागज पर जैसे

नाजुक कलियों ने नयन खोली हो जैसे

शब्दों ने साज बन सरगम बजाया ऐसे 

प्रथम प्रेम से सराबोर जीवन हुआ जैसे 


हृदय में प्रेम नीर कल कल बह रही ऐसे 

हर तरफ उमंगों की धारा समा गई जैसे 

सुरभित सुमन ने परों को खोल दिए जैसे 

चमकते सितारों ने शरारत किया हो जैसे 

उमड़ घुमड़ मेघ धरा पर बरसे कुछ ऐसे 

प्रथम प्रेम से सराबोर जीवन हुआ जैसे 



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