प्रणय कथा
प्रणय कथा
कहना चाहते हैं एक छोटी कथा,
कहना चाहते हैं एक मीठी कथा,
कहना चाहते हैं एक प्रणय कथा,
कहेंगे चंचलचित्त का मधुर व्यथा।
रुपहली रंगीली चाँदनी में लग रही हैं रति,
आपके चंचल नैनों के चिंता में हैं मेरी मति,
रजनीगंधा के सुवास करें प्रेमगीत हेतु गति,
सहर्ष दें हमारे प्रीति के लिए अपनी सम्मति।
कैसे करें अपने असीम अनुराग की अभिव्यक्ति,
आपके लिए अपार अशेष है आसक्ति अनुरक्ति,
नहीं पा रहा हूँ इस अंतहीन आर्तनाद से विमुक्ति,
जोबन के नूतन अध्याय हेतु बढ़ रहा है इच्छाशक्ति।
केवल आप हैं मेरी प्रियसखी प्रियसंगिनी,
अज्ञात है कब बनेंगी आप मेरी अर्धांगिनी,
कब जो प्रवाहित होगी हमारी प्रेम तरंगिनी,
मेरे जीवन को रंगीन कीजिए बनकर रंगीनी।
सर्वदा चाहूँ आपके साथ आलाप,
अति मधुर सुमधुर है प्रति मिलाप,
अनंत लगे हमारा हर एक संलाप,
मन को प्रसन्न करे हमारा प्रेमालाप।
सादर सहृदय से किया आपने मेरे प्रणय को स्वीकार,
सम्प्राप्ति किया हमने परिवारजनों से आनंद अंगीकार,
श्रीक्षेत्र चक्रनयनों ने रचाया चित्तसख्य चित्तरञ्जी चमत्कार
इस प्यारे प्रेमबन्धन से पवित्रबंधन का स्वप्न हुआ साकार।