STORYMIRROR

vinod mohabe

Abstract

3  

vinod mohabe

Abstract

प्रणाम

प्रणाम

2 mins
271


हिंदुस्थान की सरजमी पर जन्मे मेरे सभी महात्माओं को 

मेरा प्रणाम......


मेरी कविता पढने वाले और सुनने वाले को भी 

मेरा प्रणाम......


बच्चे को जन्म देते हुये दर्द सहती है

उस मा को भी 

मेरा प्रणाम ......


बचपन में जो भार उठाती है

उस धरती मा को भी 

मेरा प्रणाम.......


लडकी बिदा करते समय कोने में खडे होकर रोता है

उस बाप को भी 

मेरा प्रणाम......


मा बाप के घर को छोड कर, पती को ही पती देव मानने वाले

उस स्त्री को भी 

मेरा प्रणाम ......


भाई के हाथो में राखी बांधकर , साथ देने का वादा करती है

उस बहन को भी 

मेरा प्रणाम......


बचपन में मेरा हाथ पकड कर स्कूल ले जाने वाले

पडोसी बच्चो को भी 

मेरा प्रणाम ....


बूढे मा-बाप कि उंगली पकड कर चलने वाले 

लडके को भी 

मेरा प्रणाम ........


शिक्षा देकर इस मुक्काम तक पहुचाया है

उस गुरु को भी 

मेरा प्रणाम .......


उंची उडान भरकर उंचाई से ना डरता है

उस पंक्षी को भी 

मेरा प्रणाम......


समुंदर कि लहरो को काट कर नौका पार करे 

उस नाविक को भी 

मेरा प्रणाम.........


धूप से आये मुसाफिर को छाव देने वाले

उस पेड को भी 

मेरा प्रणाम.....


प्रणाम मेरे सभी भाई और बहनो

आप सभी को मेरा प्रणाम......

प्रणाम......प्रणाम ........ प्रणाम


गिरकर भी उठकर चलने वाले

उस मुन्गडे को भी

मेरा प्रणाम....


खुद का बिचार न करते हुये दुसरों के हक के लिये जीने वाले

उस इन्सान को भी

मेरा प्रणाम.....


प्यासे को पाणी पिलाकर प्यास बुझाने वाले

उस नदी को भी

मेरा प्रणाम........


कविताये लिखकर समाज को सच्चाई का बौरा बताने वाले

उस कवी को भी

मेरा प्रणाम .......


सीमा पर खडे होकर देश कि रखवाली करणे वाले

उस सैनिक को भी

मेरा प्रणाम ......


सीमा पर खडे रहकर सेवा करके निवृत्त हुये

उस माजी सैनिक को भी

मेरा प्रणाम.......


समाज के अंदर फैले जुल्म को मिटाने वाले

उस पोलीस को भी

मेरा प्रणाम........


न्याय के मंच पर बैठकर, न्याय देने वाले

उस जज को भी

मेरा प्रणाम........


मौत से बचाने वाले

उस डाक्टर को भी 

मेरा प्रणाम ......


रोटी कपडा देने वाले

उस किसान को भी 

मेरा प्रणाम ......


देश कि धारा अपने कलम पर, उठाने वाले 

उस महान बाबासाहेब को भी 

मेरा प्रणाम .......


नये नये संशोधन करके देश कि सेवा करे

उस वैज्ञानिक को भी 

मेरा प्रणाम .....


देश के पहिले नागरिक का सन्मान मिलने वाले

उस राष्ट्रपती को भी 

मेरा प्रणाम ....


गाव के पहिले नागरिक का सन्मान मिलने वाले

उस सरपंच को भी 

मेरा प्रणाम .......


इस सृष्टी पर जन्मे

सभी इन्सान को भी 

मेरा प्रणाम......


बिना कूछ मांगे ,हर दिन रोशनी देता है

उस सुरज को भी 

मेरा प्रणाम.....


रात कि तन्हाई में एकेले रहने वाले

उस चांद को भी 

मेरा प्रणाम........


किचड में खिलकर भी काम आने वाले

उस कमल को भी 

मेरा प्रणाम.....


कांटो में खिलकर भी सुंदर हो

उस गुलाब को भी 

मेरा प्रणाम.......


बडे से फल का भार उठाने वाले

उस छोटे से बेल को भी 

मेरा प्रणाम ......


जिसने इस सृष्टी को बनाया

उस भगवान को भी 

मेरा प्रणाम.......


मेरे सभी देश वासियों को

मेरा प्रणाम.......प्रणाम....... प्रणाम.......


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract