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Vibhav Saxena

Inspirational

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Vibhav Saxena

Inspirational

प्रकृति

प्रकृति

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पहले जैसी हो अपनी पृथ्वी सारी और उसका दोहन बंद हो,

नदियाँ कल-कल बहें यहाँ जीवों का विचरण भी स्वच्छंद हो।

वृक्षों से आभूषित हो यह धरती और प्रदूषण भी नियंत्रित हो,

इतनी समृद्ध बने पृथ्वी जिस पर हर खुशहाली आमंत्रित हो।

कुछ ऐसा सार्थक करें हम कि हो सके मानव का भी गुणगान,

हम सब सुखी होंगे तभी और कायम रहेगी प्रकृति की मुस्कान।।


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