प्रकृति
प्रकृति
नए साल ने वादा मांगा ।
प्राणवायु को दुआ में मांगा।
सांसे चलती रहे आपकी।
आपके लिए वरदान मांगा।
हरियाली हो केंद्र बिंदु पर।
हर जीव का अधिकार मांगा।
नई किताब फिर खुल चुकी है।
हर पन्ने पर जवाब मांगा ।
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बाढ़ की त्रासदी बढ़ाना।
या हरियाली का पाठ पढ़ाना।
भूकंप के झटके खाना।
या धरा को मजबूत बनाना।
समाधान का मार्ग अपनाना।
या तकलीफों का रोना रोना।
तुम्हें ही तो है तय करना।
कल में फिर दुनिया बसाना।
या अपना आज है लिखना।
मकड़ियों सा जाल बुनना।
या तितलियों सा संसार सजाना।
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आओ हरे रंग से प्यार करें।
हर कोने में सूर्य प्रकाश भरें।
न कोई बीमार बने न बीमारी रहे।
नवोत्थान का विचार करें
जीवन में खुशियां रहे।
जितना नभ-विस्तार।
तितली-सा जीवन रहे।
रंग-बिरंगी संसार।
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वतन की मिट्टी से सजे।
भाल तिलक, सिंदूर।
संकल्प से सिद्धि
लगती नहीं अब दूर।
रहें खुश, रखें खुश।
बने यही दस्तूर।
पानी का मोल हो।
माने इसे अनमोल।
पेड़ है जननी इसकी।
रहे न इससे दूर।