STORYMIRROR

Mamta Singh Devaa

Abstract Inspirational

4  

Mamta Singh Devaa

Abstract Inspirational

चमत्कार

चमत्कार

1 min
243


परेशानी में हर शख्स चिपकता है

कि कैसे अंदर से सब उगलवा ले

और आपकी इस परेशानी का

जी भर - भर कर खूब मजा ले ,


कोई ये जरा भी नही समझता 

परेशानी से कैसे वो अलहदा है 

आज मैं तो कल तुम भी

इस परेशानी का यही कायदा है ,


क्यों भागते हो यूँ तुम

दूसरों की परेशानी से

अपनेपन के मरहम से

लकीरें मिटा दो पेशानी से ,


जब उसकी परेशानी पोछोगे

अपने प्रेम के रूमाल से

वही रूमाल तुम्हारी भी पेशानी पे होगा

तुम्हारे उस प्रेम के कमाल से ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract