प्रकृति
प्रकृति
कुछ फुहारें गिरी है धरती है
तो ख़ुशी से हरी हो उठी है धरती माँ
देख प्रकृति की ख़ुशहाली को
मन झूम उठा दिल गाता है
चारों तरह मुस्कान लेकर आया है मानसून
मिल जुल कर ख़ुशियाँ मनाए प्यारा मानसून
शिव जी का प्रिय मास है ये
सबके मन को भाता
भाव - भंगिमाए सबके मन को सुहाता
बारिश की बूँदें पड़ी जो धरा पर
जल मग्न हो गया हर गाव हर शहर।
