प्रकृति शिक्षा
प्रकृति शिक्षा
प्रकृति की प्रकृति तो देखा क्या क्या ढंग बताती है
जीवन को कैसे जीना है जीने की कला सिखाती है
वर्षा की बूंदे गिरती गगन से फिर भी नहीं बिखरती है
सींचकर धरती को हरियाली चुनर उढ़ाती है
खटू टूटकर रह जाती धरा को जीवन दे जाती है
प्रकृति की प्रकृति..............
पेड़ जब- जब धरती में दफन् हो जाता है
कड़े दाब- ताप को सहकर वो कोयला हो जाता है
धीरज धरकर सैंकड़ों वर्ष ये हीरा बन जाता है
प्रकृति की प्रकृति..............
बड़े बड़े हिमनद पिघलकर शिखर से, जल में परिवर्तित
हो जाते हैं, बहकर ये जल पर्वतों से औषधी साथ
ले आते हैं, और तब यह जल अमृत बन जाता है
प्रकृति की प्रकृति..............
गर्म ताप में पिटकर सोना भी कुंदन बन जाता है
खुद जलकर हमें रोशनी देता वो तारा वो सूरज कहलाता है
प्रकृति की प्रकृति..............
पतझड़ जब आता है पत्ते गिराने से वृक्ष नहीं कतराते हैं
समय जब आता वसंत का वृक्ष फिर हरे-भरे हो जाते हैं
देते है हमें मीठे मीठे फल पर खुद एक फल नहीं खाते है
प्रकृति को प्रकृति..............
परेशानी जो आये जीवन में उससे कभी घबराना नहीं
यही वो ताकत है जो हमें मजबूत बनाती है
क्रोध , ईर्ष्या, लालच जब हमें घेर लेती हैं
तब हमारे सोचने की शक्ति क्षीण पड जाती है
ऐसे समय में ही प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखलाती है
प्रकृति की प्रकृति...........