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नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Drama

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नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Drama

प्रियतम बसंत

प्रियतम बसंत

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पेड़ पत्ते गिराने लगे

पौधे प्रसून दिखाने लगे

सरसों पर पीलिमा छाई

वायुदेव बयार चलाने लगे।


धरती स्वयं सजी-संवरी सी

लगने लगी है सुन्दर कजरी सी

हवा के झोंकों से आभाषित

हल्की-फुल्की अस्थिर चंचल सी

लेकर गोद में लगी खिलाने

नन्ही धूप को ढ़क आंचल से

सरसों पर पीलिमा छाई

वायुदेव बयार चलाने लगे।


हरे-भरे सुन्दर कपड़ों में

रंग-बिरंगे लगे हैं छिंटे

पलकें मुंदे खड़ी आशातित


प्रियतम की राहों में ये

दर्शन देने स्वयं बसंत जी

आये हैं चढ़ कर हाथी पे,

सरसों पर पीलिमा छाई

वायुदेव बयार चलाने लगे।



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