परिवर्तन
परिवर्तन
परिवर्तन सृष्टि का नियम है
परिवर्तन से ही सारा समाया संसार है।
परिवर्तन एक नियति की तरह होती है।
परिवर्तन उत्क्रमणीय भी हो सकती है।
परिवर्तन अनुत्क्रमणीय भी हो सकती है।
परिवर्तन भौतिक भी होती है।
परिवर्तन रासायनिक भी हो सकती है।
परिवर्तन सामाजिक भी होती है।
परिवर्तन का कोई अस्तित्व नहीं
परिवर्तन है तो ही समस्त सृष्टि जीवन है।
परिवर्तन से कहानी है एक पल नई जिंदगानी है।
परिवर्तन से ही समूह रचना है।
परिवर्तन एक अभिशाप है
तो परिवर्तन से ही समूचे सृष्टि का विकास है।
परिवर्तन से ही सृष्टि की कल्पना है।
परिवर्तन ही मानव जाति की
अभी परिकल्पना है।
परिवर्तन ही ज्ञान विज्ञान है ।
परिवर्तन ही जीवन का आधार है।
परिवर्तन से ही समस्त जीव जंतु का कल्याण है।
परिवर्तन से ही मनुष्य का प्रगति का उत्थान है।
और परिवर्तन से ही जीवन में अंधकार भी।
परिवर्तन से ही सब कुछ मुमकिन है।
परिवर्तन ना हो तो सब कुछ बेकार है।
परिवर्तन से कहानी है एक पल नई जिंदगानी है।
परिवर्तन से ही समूह रचना है।
परिवर्तन एक अभिशाप है
तो परिवर्तन से ही समूचे सृष्टि का विकास है।
परिवर्तन से ही सृष्टि की कल्पना है।
परिवर्तन ही मानव जाति की
अभी परिकल्पना है।
परिवर्तन ही ज्ञान विज्ञान है ।
परिवर्तन ही जीवन का आधार है।
परिवर्तन से ही समस्त जीव जंतु का कल्याण है।
परिवर्तन से ही मनुष्य का प्रगति का उत्थान है।
और परिवर्तन से ही जीवन में अंधकार भी।
परिवर्तन से ही सब कुछ मुमकिन है।
परिवर्तन ना हो तो सब कुछ बेकार है।
