प्रीति सुख का स्वागत
प्रीति सुख का स्वागत
छोड़ बाबुल का अंगना
संग आई तेरे सजना
प्रीत की बंधी तुझसे डोर
मन हो गया विभोर।
माथे की बिंदिया लगायी ते
रे नाम की
श्रृंगार रूपी गहनों से सजी
प्रीत ले स्वागत की।
मनभावन फूलों की सुगंध से
महके मेरा सौभाग्य
नवोदय की आगाज पर मिले
मनमीत यह मेरा अहोभाग्य।
सजना मधुरम नवजीवन की
करेंगे हम शुरुआत
दोनों के समागम भावनाओं से
होगी रस बरसात।
बुनियादों का कर त्याग
हमें करना कुरीतियों का हनन
गर तुम निभाओ साथ मेरा
सुखद होगा ये नवजीवन।
ओ सजना मेरे
सुख-दुख जीवन के पहलु दो
प्रीत के सागर में साथी दो
हम दोनों प्रेम रस से एकरूप हो जाए।
इस शीतल चाँदनी में
सूरज की रोशनी में
विशाल क्षितिज पर
छवि निर्मित करें।
नये आलिंगन नवचेतना लिए
भावों के नाद
मधुर सुरताल के साथ
स्वागत करें इस नवजीवन का।
मुझे यकीन है हमारा जीवन
अवश्य होगा साकार
दुःखों के काँटे कितने ही चुभे
फूलों की होगी अवश्य बहार।
हम दोनों की प्रीत का
संगीत याद करेगा यह संसार।।