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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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परी हो तुम पापा की बिटिया मेरी

परी हो तुम पापा की बिटिया मेरी

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परी हो तुम पापा की बिटिया मेरी,

तुम्हारा आना मानो घर आईं मां लक्ष्मी,


नूर हो तुम पापा की बिटिया मेरी,

हो जीवन की तुम अमूल्य निधि,

एक बेटी का पिता होना ही, 

मानों यही है मेरे जीवन की सिद्धि,


जब तुम्हारे नन्हें कदम मेरे घर आए,

सबसे खूबसूरत पल था वो,

पापा कह जिस दिन पुकारा तुमने, 

कितनी थी वो सुखद अनुभूति,


तुम्हारी वो चंचल शैतानियां, अठखेलियां, 

सुकून है मेरे जीवन का,

देखकर तुम्हारा मासूम चेहरा,

मानों जीवन की संजीवनी मिल जाती,


तुम मेरा गुरूर हो मेरी राजकुमारी,

तुम हो मेरा अनमोल खजाना,

तुम्हारे रूप में ईश्वर का आशीर्वाद मिला मुझे,

है ये मेरी खुशनसीबी,


तुम्हारी वो पहली किलकारी,

वो कोमल स्पर्श,आज भी याद है मुझे,

जीवन का सबसे सुखद एहसास है वो,

जो कभी भुली नहीं जा सकती,


तुम मेरा मान हो बिटिया रानी, 

तेरे होठों की मुस्कान है मेरी दौलत,

तुम्हारी खिलखिलाहट ही तो, 

मेरे जीवन के हर ग़म को है भुलाती,


कोई दुख तुम्हें छू ना सकेगा, 

ये एक पिता का वादा है, मेरी गुड़िया, 

तुम मेरी ज़िंदगी हो बिटिया रानी, 

तुम में ही तो मेरी जान है समाती,


गर्व है मुझे, मैं एक बेटी का पिता हूं, 

तुम मेरा विश्वास, मेरा गुरूर हो,

मेरे बगिया की तुम फुलवारी हो, 

तुमसे ही तो‌ मेरी दुनिया है महकती,


हो जाओ तुम कितनी भी बड़ी,

पर मेरे लिए तो रहोगी नन्हीं सी परी,

जो नन्हे-नन्हें पांव में पायल पहन कर, 

पूरे घर आंगन में है चहकती,


तुमसे मेरा संसार हुआ रौशन, 

मेरी बिटिया, तुम मेरे घर का हो उजाला,

सांसे रुक जाती है मेरी, 

तुम नज़रों से थोड़ी ओझल जो हो जाती,


एक खरोंच भी जो लग जाए तुम्हें, 

तो दर्द का एहसास मुझे होता,

देख लेता हूं तुमको, फिर भी,

बार-बार देखने की दिल में चाहत रहती,


खूब पढ़ो तुम छू लो आसमान की बुलंदियों को,

यही पिता का एक है अरमान,

हर कार्य कर सकती हो तुम,

याद रखना कमजोर नहीं, तुम्हारी हस्ती,


एक नहीं दो वंश चलाती है बेटियां,

बेटों से कम नहीं होती है बेटियां,

फिर ना जाने ये दुनिया क्यों,

बेटा और बेटी में इतना फर्क है करती।


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