प्रेमगीत
प्रेमगीत
कितने गीत सुनाए तुमने
प्रेम भरे वादे थे जिनमे
सारे वादे भूल गए तुम
फिर भी मन ये पूछ रहा
प्रियतम वापिस आओगे क्या
फूल खिले है शाखों पर और भंवरे उनको चूम रहे
मदहोशी का आलम था और सारे उसमे झूम रहे
तृप्त हुआ मन शीत पवन फिर उड़ने को बोराए थे
प्रेम पिपासा लिए हृदय में फूलों से मिलने आए थे
आना था फिर जाना भी था
रोना था मुस्काना भी था
सारे वादे भूल गए तुम
फिर भी मन ये पूछ रहा
प्रियतम वापिस आओगे क्या।