प्रेम
प्रेम
करे कुछ कर्म ऐसा की उन्हें आराम हो जाये,
पड़े पग जहाँ उसके जमी वो धाम हो जाये,
सुधर जाये ये जीवन तब समर्पण हो तुम्हारा जब,
मेरा जो है अभी वो कल तेरे ही नाम हो जाये।
करे कुछ कर्म ऐसा की उन्हें आराम हो जाये,
पड़े पग जहाँ उसके जमी वो धाम हो जाये,
सुधर जाये ये जीवन तब समर्पण हो तुम्हारा जब,
मेरा जो है अभी वो कल तेरे ही नाम हो जाये।