प्रेम
प्रेम
प्रेम की चाशनी में डूबे हुए,
प्रेम की चांदनी में नहाए हुए,
प्रेम में बावली हो गयी मैं सनम
बस तुम्हारी चरणधूलि पाकर।।
कुछ भी देखा नहीं, देखकर भी,
कुछ भी जाना नहीं, जानकर भी,
बस तुम्हारी हुई ,बस तुम्हारी हुई,
रंग चोखा चढ़ा प्रेम तुम्हारा पाकर।।

