प्रेम स्वप्न
प्रेम स्वप्न
ये दुनिया है सपनों की जिसमें
कुछ भी हो जाता है,
असल जिंदगी से कहीं दूर
नये पहलू दिखलाता है।
कुछ सपने ऐसे होते हैं
जिनके सच होने का डर लगता है,
और कुछ सच होने पर
जैसे ख़ुदा मिलने सा लगता है।
मैंने भी एक सपना देखा,
सपने में कोई अपना देखा,
जिससे मिलने की सोच कर
ये दिल यूं बस रो पड़ता है।
क्योंकि सपने में मिलना भी
एक सपने जैसा लगता है,
एक सपने जैसा लगता है।
जहां मिली थी वो सपने में
वो जगह लेकिन असली थी,
जहां मिलते थे हम कभी
ये जगह शायद वही थी।
दिन भी वो कुछ अब
मुझको जाना पहचाना लगता है
कि इतने में सुबह हो जाती है
और सपना हमारी कहानी सा
फिर से अधूरा रह जाता है।
लेकिन फ़िर भी दिल कहता है,
मिलेगी वो वहीं मुझको,
जहां पर दिल उसने तोड़ा था,
उसी जगह पर पहली बार
मैंने दिल अपना छोड़ा था,
मैंने दिल अपना छोड़ा था।

